काठमाडौं,५ माघ । हिन्दू धर्ममा कुबेर देवलाई यक्षको कोषाध्यक्ष र राजा पनि भनिन्छ। पूर्ण भक्तिपूर्वक कुबेर देवको पूजा गरेमा भक्तले आर्थिक समस्याबाट मुक्ति पाउन सक्छन् । यस्तो अवस्थामा कुबेर देव जीको आरती पढौं।
कुबेर देव पूजा विधि
हरेक दिन कुबेर देवको पूजा गर्न सकिने भए पनि शुक्रबारको दिन कुबेर जीको पूजा गर्नाले विशेष लाभ मिल्ने विश्वास छ ।
यसका लागि बिहान सबेरै उठेर नुहाउनुपर्छ । यसपछि पूजाको समयमा कुबेर देवलाई चन्दन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य र भोग आदि अर्पण गर्नुहोस्।
अन्तमा कुबेर जीको आरती गर्नुहोस् र सबैलाई प्रसाद बाँड्नुहोस्।
कुबेरजीको आरती
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे
स्वामी जय यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे
शरण पड़े भगतों के
भंडार कुबेर भरे
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े
स्वामी भक्त कुबेर बड़े
दैत्य दानव मानव से
कई-कई युद्ध लड़े
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे
सिर पर छत्र फिरे
स्वामी सिर पर छत्र फिरे
योगिनि मंगल गावैं
सब जय जय कार करे
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे..
गदा त्रिशूल हाथ में
शस्त्र बहुत धरे
स्वामी शस्त्र बहुत धरे
दुख भय संकट मोचन
धनुष टंकार करें ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने
स्वामी व्यंजन बहुत बने
मोहन भोग लगाएं
साथ में उड़द चने ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
बल बुद्धि विद्या दाता
हम तेरी शरण पड़े
स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के
सारे काम संवारे
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
मुकुट मणी की शोभा
मोतियन हार गले
स्वामी मोतियन हार गले
अगर कपूर की बाती
घी की जोत जले
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
यक्ष कुबेर जी की आरती
जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे
कहत प्रेमपाल स्वामी
मनवांछित फल पावे
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥